Tuesday, May 12, 2009

I waited 4 u

लफ़्ज़ों ने बहुत मुझको छुपाया लेकिन उसने मेरी नज़रों की तलाशी ले ली
I tried to hide behind words But she read my eyes. कितना पानी भर गया देखो ग़म की बारिश का ख़्वाबगाहों मेंनींद आये तो किस तरह आये, कौन सोता है आबगाहों मेंNothing's hidden Nothing's seen Such indeed, is your vision.

Thursday, April 30, 2009


बहुत दिनो से सोच रह था कि..इस रचना को आप सब के साथ ... प्राथनाये अधुरी रहने तक मेरे सान्सो के आकाश मे दस्तक मत देन तुम ओ मृत्यु सुख दुख के संग सहवास पीडा भोगती मेरी देहं na साध ले आसीम स्म्रितियो की परिक्रमा पुर्न करतामेरा कारुनिक मन आँखों से ना धलक जाये मेरे जीवन मे रुपायित मत होना तुम ओ मृत्यु

Sunday, April 19, 2009

Koshy A new relation


एक नया रिश्ता कोशी बहुत से रिश्ते सुने होगे आपने जेसे पिता माँ पति पत्नी पुत्र पुत्री भाई बहिन दोस्त दुश्मन ...पर कोशी इन सब से अलग एक रिश्ता कोशी ...नहीं सुना होगा अजीब सा लग रहा होगा हे न पर हा दोस्तों मेने भी अब जाना हे इस रिश्ते को कोशी ...केसा लगेगा जब कोई आप को कहे की तू मेरा कोशी हे या तू मेरी कोशी हे ...what is this ...no yar its true a relation name koshy....चलो एक काम करते हे ....हर रिश्ते से थोडा थोडा कुछ चूराते हे ...पिता से :- स्वाभिमान, माँ से :- ममता , पुत्र से :- स्नहे , पुत्री से :- भावुकता , बहिन से :- बंधन, भाई से :- रिश्ता , पति से :- सुरक्षा, पत्नी से :- प्यार , दोस्त से :- लगाव , दुश्मन से :- बदला
इन सबको एक साथ मिला कर मिक्सी में डाल दो एक नया रिश्ता जनम लेता हे कोशी हा सच में कोशी ...मेरा रिश्ता हे तू ...मेरी.. कोशी ... हा बस कोशी और सिर्फ कोशी

Friday, April 17, 2009

REALITY IS REALITY

बुझाने के लिये पागल हवायें रोज़ आती हैं सुबह मेरे माथे पर इस कदर लहू कैसा रात मेरे चेहरे पर आईना गिरा होगा। आदमी अपने जीवन की तल्ख सच्चाइयों से लहूलुहान हो जाता है और फिर मुकद्दर को कोसने लगता है और माथे का पसीना पोंछने लगता है। जब यह शेर सुना था पहली बार,तो पहली बार,उसकी भावाभिव्यक्ति की चमक ने आकर्षित किया था। फिर धीरे-धीरे इस शेर की गहराई मेरे सामने खुलती गयी और अब मैं जब खुद उसकी गहराई में उतरने को हूँ तो लगता है कि ज़िन्दगी फिर लहूलुहान कर देगी- BUT FRNS REALITY IS REALITY..HOW MUCH I CAN RUN..MY SHADOWS.COMING SO NEAR TO ME ........एक ही रोज़..... सुबह जीता हूँ तो शाम तक मर जाता हूँ.. एक ही रोज़ कई हिस्सों में बिखर जाता हूँ... जब भी चलता हूँ, तेरे दर को, कि सुकून मिले लोग करते हैं ये सवाल, किधर जाता हूँ?? तेरी सूरत के सिवा सारा जहाँ ग़ैर लगे, अब तो आलम है कि साए से भी डर जाता हूँ... ये ना कहना तुम्हारे पास मैं नहीं होता, सुख में-दुःख में तेरी पलकों पे बिखर जाता हूँ..... ख़्वाब बिकते हैं, सुना है कि जन्नत है वहीँ, माँ!! छुड़ाकर तेरा दामन मैं शहर जाता हूँ... तुमसे शिकवा करूं, मेरी फितरत ही नही.... मैं वो शम्मा हूँ, जो शोलों में निखर जाता हूँ........ IF U LIKES Can you measure love?” Love, friendship, respect, admiration are the emotional response of a person to the virtues, values, and worth of the other

Monday, April 13, 2009

खुदा का वासता देकर , मनालुं दूर हूँ लेकिन तुम्हारा रास्ता में, रोकलूं मजबूर हूँ लेकिन..गिला तुमसे नहीं कोई , मगर अफ़सोस थोडा है,के जिस ग़म ने मेरा दामन , बड़ी मुश्किल से छोडा है,उसी गम से मेरा फिर आज रिश्ता , जोड़ जाते हो,

Friday, April 3, 2009

relationship

इश्क़ कैसा कि भरोसा भी नहीं
था शायद
उससे मेरा कोई रिश्ता भी
नहीं था शायद


What a love, perhaps there was no faith
Perhaps there was no relationship either


मैंने दरिया से सीखी है पानी
की पर्दादारी
ऊपर ऊपर हँसते रहना गहराई
में रो लेना

For Genie

क्यों बुरा मैं कहूँ दूसरों को ?
वो तो मुझको भी अच्छा लगा है




Wednesday, April 1, 2009

Be master

किनारों से ऐ नाखुदा तू दूर ही रखना वहाँ लेकर चलो तूफ़ां जहाँ से उठने वाला है
Heyyyyyyyy, boatman, keep me away from the shore Take me where the storm is about to rise
Be master of your petty annoyances and conserve your energies for the big, worthwhile things. It isn't the mountain ahead that wears you out - it's the grain of sand in your shoe.
शबे इन्तज़ार की कशमकश में ना पूछ कैसे सहर हुई कभी इक चराग़ बुझा दिया कभी इक चराग़ जला दिया

Tuesday, March 31, 2009

contents of my letter

तेरी हर याद में कहीं न कहीं, ज़िक्र मेरी भी ज़ात का होगा
In all & every memory of yours, I will be mentioned too.
में कतरा हो के समंदर से जंग लेता हु मुझे बचाना समंदर की जिमेदारी हे दुआ करना की सलामत रहे हिम्मत मेरी यह एक चिराग कई आंधियो पे भारी हे
Oh my god, how will the contents of my letter will be known That unbeliever has sworn to burn that paper खुलेगा किस तरह मजमूं मेरे मक़्तब का या रब क़सम खाई है उस काफ़िर ने काग़ज़ को जलाने की

Monday, March 30, 2009

fragile as glass


मेरे वीराने से कोसों दूर है तेरा वतन है मगर दरिया-ए-दिल तेरी कशिश से मौजज़न
Your home is furlongs away from my loneliness But your beauty causes waves in the river of my heart
When I had nothing, I desired everything Now I have everything, there is no desire
जब कुछ नहीं था पास तो सब कुछ की चाह थी सब कुछ मिला है अब के जब चाहत निकल गई
हम कहाँ जायेंगे जज़्बात का शीशा लेकर लफ़्ज़ पत्थर का तो हर शख़्स चला देता है
Where do we take these feelings fragile as glass Each person deals in flint sharp words

Capability

शक्ति अगर सीमित है तो हर चीज़ अशक्त भी है, भुजाएँ अगर छोटी हैं, तो सागर भी सिमटा हुआ है
सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है, जीवन और मृत्यु के बीच जो भूमि है वह नियति की नहीं मेरी है।
Capability is just another name for desire. The land that lies between life and death belongs to me, not to fate.

Parted friend

Although an old friendship was lost over a trivial matterBut at least some people were recognised for what they were
गो ज़रा सी बात पर बरसों के याराने गयेलेकिन इतना तो हुआ कुछ लोग पहचाने गये
While leaving, she broke all links Else, we could have parted as friends
सिलसिले तोड़ गया वो सभी जाते जातेवर्ना इतने तो मरासिम थे कि आते जाते

क्यों कभी आसमान नही बन पाते हैं

न हुई गर मेरे मरने से तसल्ली न सही इन्तिहां और भी बाक़ी हो तो ये भी न सही If my death does not satisfy you, no problem If you wish to test my love further, no problem
पिंजरों के भी जज़्बात होते हैं
वो भी परिंदों के लिए रोते हैं
बस परिंदों के शोर में कहीं
अपनी दबी आवाज़ खो देते हैं
किसी का आशियाँ कहला सकें
इसलिए कितना जतन करते हैं
पर परिंदे हैं कि हर वक़्त उसे
अपना कहने से मुकरते हैं
कभी कभी हताश गुस्से में
शिकायत भी करते होंगे
फिर अपनी शिकायतों का क़र्ज़
अपने ही दर्द से भरते होंगे
हर जतन करते हैं ये
कभी हँसते, कभी रोते, कभी जिंदगी के गीत गाते हैं
अब कैसे समझाऊँ मैं इनको
ये क्यों कभी आसमान नही बन पाते हैं

Sunday, March 29, 2009

मानव मन

एक आम व्यक्ति, जो अपने आस पास फैले प्रकृति के काव्य की कुछ पंक्तियाँ समझ लेता है, और उन्हे चुराकर एक नयी कविता के रूप मे लाता है. मेरे लिए कविता जीवन से जुड़ने का एक माध्यम है जहाँ हम थोड़ा और गहराई से जाँच परखकर देखते हैं अपने आप को, अपने जीवन को, अपने वातावरण को. इन्ही सब चेष्टाओ की परिणति है
मेरी फितरत से नाराज़ मेरे दोस्त सुनोमेरे रंगों के बिखरे सभी तार बुनोकि तुमको भी कोई ख्वाब नया मिल जायेमेरी फितरत पर लगा दाग यों ही धुल जायेआसमाँ से भी तो पूछो ये बरसता क्यों हैआँख में बूँद लिए दिल ये तरसता क्यों हैकि तुमको भी कोई टूटा ख्वाब मिल जायेमेरी फितरत पर लगा दाग यों ही धुल जायेनींद के पन्ने इसलिए मैंने संभाले हैंरात भर चलते रहे , पाँव भर छाले हैंकि तुमको भी छालो से सना ख्वाब कोई मिल जायेमेरी फितरत पर लगा दाग यों ही धुल जायेबस्तियों से अपना रुख ही जिसने मोड़ लियारेत की उड़ती छाँव को ही खुद पे ओढ़ लियाकि तुमको भी ख्वाब बंजारा कोई मिल जायेमेरी फितरत पर लगा दाग यों ही धुल जाए"ये कविता हमारे मित्र 'SUNITA&YOGEE' की एक टिप्पणी से प्रेरित है, इसीलिए उन्ही को समर्पित भी है"
प्यार एक विलक्षण अनुभूति है। सारे संसार में इसकी खूबसूरती और मधुरता की मिसालें दी जाती हैं। इस सुकोमल भाव पर सदियों से बहुत कुछ लिखI

Saturday, March 28, 2009

पशेमां लाश

तस्वीर कुछ कहती है, गिद्दों और भेडियों से बचाओ इन्हें
वो आये हैं पशेमां लाश पर अब तुझे ऐ ज़िन्दगी लाऊँ कहाँ से

Now they visit me. when I am

dead, out of shame, Where can I

find you, o life

धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो ज़िन्दगी क्या है किताबों को

हटाकर देखो वो सितारा है चमकने दो यूँ ही आँखों में क्या ज़रूरी है

उसे जिस्म बनाकर देखो

Move out in the sun, bathe in the clouds See life for yourself,

not through books Life is a star, let it shine on [enjoy it] It is not

necessary to analyse it ...